Ayurveda

आयुर्वेद

प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति – आयुर्वेद

आसान शब्दो में कहा जा सकता है –

आयुर्वेद – आयु को बढ़ाने वाला वेद या लम्बे जीवन का विज्ञान

आयुर्वेद का विज्ञान अत्यंत गूढ़ होने के साथ ही अत्यंत व्यापक भी है। इसके विज्ञान को समझना बहुत कठिन है क्योंकि इसका विज्ञान जानने के लिए पहले आपको जीवन, मृत्यु और प्रकृति को जानना होगा या ये भी कह सकते है की आयुर्वेद के विज्ञान को समझने में आप इन तीनो को स्वत: ही समझने लगेंगे इसीलिए सभी आयुर्वेद सम्बन्धी ग्रन्थ ऋषियों के द्वारा ही लिखे गए है और आज के समय में टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस हो चुकी है लेकिन फिर भी इस विज्ञान को समझने में असफल रही है।

इन सब बातो से आप सोच सकते है की इस विज्ञान को मशीनो से अथवा किताबे पढ़ कर नहीं समझा जा सकता है। कृपया ध्यान दें यहाँ पर हमने विज्ञान की बात की है न की ज्ञान की क्योकि ज्ञान लेना और देना आसान होता है किन्तु ज्ञान के उद्गम बिंदु अर्थात विज्ञान को जानना मुश्किल।

आजकल हम आयुर्वेद का उपयोग ठीक से नहीं कर पाते है जिस कारण से फायदा होने में काफी कमी हो जाती हैं। अगर किसी को लाभ नहीं हो पा रहा है तो इसका मतलब ये है की आपके रोग की जांच ठीक से नहीं हो पाई है, रोग के मूल कारण का पता नहीं चल पाया है क्योंकि सच्चाई तो ये है की ऐसा कोई रोग नहीं जिसका इलाज संभव न हो, ज्यादा समय या मेहनत अवश्य लग सकती हैं… जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु भी निश्चित है फिर चाहे वो बीमारी हो अथवा कुछ और।

और आगे जानने के लिए यहाँ दबाये…आयुर्वेद क्या हैं और कैसे काम करता है

Ayurveda : Ayurved Ji
Ayurveda

प्रकृति ही ईश्वर हैं , ईश्वर ही प्रकृति हैं।

ऋषि मुनियो ने सदा से ही मानव कल्याण के लिए बड़ी बड़ी खोजे की है किंतु उन्होने इस बात का बहुत ध्यान रखा की प्रकृति को किसी भी तरह से कोई हानी ना हो। क्योंकि प्रकृति से ही जीवन है न की जीवन से प्रकृति। जीवन तो प्रकृति का बस एक अंश है।

आयुर्वेद को समझने के लिए हमें प्रकृति को समझना होगा। प्रकृति से प्रेम करना होगा। तभी हम समझ पाएंगे की कैसे हम इस प्रकृति का बस एक छोटा सा अंग है। प्रकृति के जितने भी अंग है जैसे वृक्ष जीव जन्तु मिट्टी आदि इन सभी के योगदान से जीवन भली प्रकार से चल पाता है।प्रकृति के इस योगदान को समझते हुए प्रकृति के द्वारा मानव की चिकित्सा करने की शुरुआत हुई।

प्रकृति और ईश्वर के बारे में और जानने के लिए दबाये : प्रकृति और ईश्वर में क्या अंतर है ?

समय के साथ ही इस विद्या में बहुत उन्नति हुई। किंतु जैसे-जैसे समय बीता इस विद्या में कमी होती चली गई। और आज के समय में ये विद्या अपने छोटे स्वरूप में लोगो के पास है और इस विद्या के काफी अंश लुप्त प्रायः हो गए है। इसी कारण अब कम ही अच्छे वैद्य मिल पाते है।

आयुर्वेद को जीवन का अंग बनाना है , शरीर को रोगो से बचाना है ।

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