April 18, 2024
कर्म या भाग्य में कौन बड़ा

कर्म और भाग्य में कौन बड़ा – |कर्म या भाग्य|

कर्म और भाग्य में कौन बड़ा है और ये होते क्या हैं ?

“कर्म या भाग्य में बड़ा कौन” – ये प्रश्न अक्सर हमारे मन में आ जाता है लेकिन तब ये सबसे ज्यादा आता है जब हम किसी काम को करने में बहुत मेहनत करते है और फिर भी हमे सफलता प्राप्त नहीं होती है।

और न जाने कितनी बार आपने लोगो को कहते हुए सुना होगा की – बेचारा मेहनती तो बहुत था लेकिन उसके भाग्य में ही नहीं था।

लेकिन जब हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि कर्म और भाग्य में कौन बड़ा है या वे क्या हैं, तो हमें कोई उचित उत्तर नहीं मिल पाता है जो हमें संतुष्ट कर सके, इसलिए आज हम कर्म और भाग्य को सभी लोगों के लिए बेहतर बनाने का प्रयास करेंगे जिससे आसानी से इनके बारे में समझा जा सके।

तो पहले हम ये छोटी सी कहानी पढ़ लेते हैं…

Karm Aur Bhagya Me Kon Bada
Karm Aur Bhagya Me Kon Bada
Karm Aur Bhagya Me Kon Bada
कर्म या भाग्य में कौन बड़ा है
Karm Aur Bhagya Me Kon Bada
Karm Aur Bhagya Me Kon Bada
Karm Aur Bhagya Me Kon Bada
Karm Aur Bhagya Me Kon Bada
कर्म या भाग्य में कौन बड़ा है
कर्म या भाग्य में कौन बड़ा है
कर्म या भाग्य में कौन बड़ा है
कर्म या भाग्य में कौन बड़ा है
कर्म या भाग्य में कौन बड़ा है

तो ऐसी ही परिस्थति होती है हम सबके साथ भी जब किसी के पास उत्तर नहीं होता है तो बात टाल दी जाती है ।

कर्म और भाग्य के बारे में जानने के लिए सबसे पहले हमें उनकी परिभाषा जाननी होगी तो चलिए जानते हैं…

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कर्म क्या है ?

आज तक हम सभी ने हिंदी में पढ़ा है कि कोई भी काम करना या कुछ भी करना कर्म है जैसे – सोना, चलना, खाना, पढ़ना, आदि। यानी जीवन में जब से हम मां के गर्भ में आते हैं और मरते दम तक कर्म करते ही रहते हैं। कर्म तो सभी लोग करते हैं लेकिन सफलता कुछ ही लोगों को मिलती है। तो बताओ ऐसा क्यों होता है…?

शिष्य : पता नहीं, ये तो आप ही बताइये। और ये भी बताये की वे कौन से कर्म हैं जिन्हें करने के लिए भगवान श्री कृष्ण श्रीमद्भगवत गीता में कहते हैं ? क्योंकि, सोने, घूमने, मजे लेने के लिए तो कृष्ण जी कहेंगे नहीं।

कैसे कर्म करने चाहिए इसके बारे में तो हम किसी और दिन चर्चा करेंगे अभी हम कर्म और भाग्य के बारे में और जान लेते है।

और आपको भाग्य के अनुसार कर्म की एक और परिभाषा बताता हूँ – “कर्म वह है जो भाग्य द्वारा निर्मित होता है”

शिष्य : तो क्या इसका मतलब भाग्य बड़ा है।

नहीं, अभी तुम्हें और जानना होगा। अभी तुम्हें भाग्य के बारे में भी जानना होगा और फिर बताना कि कर्म बड़ा है या भाग्य।

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भाग्य क्या है ?

भाग्य वो सीधी साधी सी चीज है जिस पर हम जब चाहें अपनी असफलता का दोष लगा देते हैं। अगर कोई असफल हो जाता है तो कोई भी सीधा ही कहता है इसका तो भाग्य ही खराब है। तो ये है बेचारा हमारा सीधा साधा सा भाग्य।

चलो, अगर आप थोड़ा मुस्करा लिए हो तो अब हम वास्तव में जानते हैं की भाग्य क्या होता है…

साधारण शब्दों में कहे तो “कर्म के द्वारा जिसका निर्माण होता है वो भाग्य होता है”

शिष्य : लेकिन ये क्या इस हिसाब से तो कर्म बड़ा हो गया… और कभी तो आप कहते हैं कि कर्म से भाग्य बनता है और कभी भाग्य से कर्म बनता है। किन्तु ऐसा कैसे हो सकता है।

कर्म और भाग्य में कौन बड़ा हैं ?

कर्म और भाग्य साइकिल के दो पहियों की तरह है। जैसे साइकिल एक पहिये पर नहीं चलती है वैसे ही जीवन भी सिर्फ एक चीज पर नहीं चलता है।
जीवन में कर्म और भाग्य दोनों की आवश्यकता होती है क्योंकि जब हम कर्म करते है तो भाग्य का स्वतः ही निर्माण हो जाता है और फिर वह भाग्य हमारे आने वाले कर्मो को प्रभावित करता है।

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अगर भाग्य अच्छा होता है तो हम कर्म भी अच्छे कर पाते है और यदि भाग्य ख़राब हो तो हम पाप कर्म ज्यादा करते है। फिर ये कर्म फिर से भाग्य बनाते है और फिर भाग्य से कर्म बनते है।
ऐसे ही कर्म और भाग्य दोनों साथ साथ चलते रहते है।

इस जन्म में सिर्फ इसी जन्म का भाग्य नहीं होता है पिछले जन्म का भाग्य भी होता है क्योंकि मृत्यु से सिर्फ हमारा ये शरीर नष्ट होता है लेकिन हमारी आत्मा तुरंत बाद नया शरीर धारण कर लेती है और पहले किये गए अच्छे और बुरे कर्मो का फल हमें निरंतर मिलता रहता है।

हम यहाँ पर ज्यादा तो नहीं लिख सकते है किन्तु हमने आपको मोटे तौर पर समझाने का प्रयास किया है।
हम आशा करते है की आपको कर्म और भाग्य के बारे में कुछ कुछ पता चल गया होगा।
धन्यवाद !

  1. क्या किस्मत और भाग्य अलग होते है ?

    नहीं, भाग्य को ही किस्मत कहते है। किस्मत शब्द अरबी भाषा का है इसीलिए आप जो चाहे कह सकते है।