माँ मनसा चालीसा पढ़ने से पहले जान लेते माता के बारे में। माँ मनसा देवी नागो की देवी है और ये भगवान शिव जी और माता पार्वती जी की पुत्री है। इनका जन्म भगवान शिव जी के मस्तक से हुआ था इसीलिए इनका नाम मनसा देवी पड़ा। इनके पति ऋषि जरत्कारु जी है और इनके एक पुत्र है जिनका नाम है आस्तिक मुनि।
आस्तिक मुनि जी ने ही सर्पो अथवा नागो को पांडवो के पौत्र जन्मेजय के द्वारा किये गये सर्प यज्ञ में भस्म हो जाने से बचाया था।
माँ मनसा चालीसा – माता की कृपा प्राप्ति के लिये
माता मनसा देवी मंत्र :
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं एं मनसा दैव्ये स्वाहा
माँ मनसा चालीसा के पाठ से माता की कृपा सदा अपने भक्तो पर बनी रहती है और माता हर प्रकार के विष से और अन्य हानिकारक चीजो से सुरक्षा करती है और विघ्न बाधाओं से निकलने में अपने भक्तो का मार्गदर्शन करती है। माँ मनसा देवी जी का मंदिर हरिद्वार में स्थित है।
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|| माँ मनसा चालीसा || Mansa Devi Chalisa ||
देवी माँ मनसा चालीसा का पाठ माँ की कृपा प्राप्ति के लिये एक उत्तम साधन है। अगर आपको कुछ भी दिक्कत हो तो आप देवी से निवेदन कर सकते है जब देवी प्रसन्न होती है तो अपने भक्तजनों को सब कुछ दे देती है। बस आपको ये करना है की चालीसा के पाठ करने से पहले आपको संकल्प ले लेना है की मैं _इतने_ दिनों तक _इस_ मनोकामना के लिये जाप कर रहा हूँ। फिर बाद में संकल्प पूर्ण होने के बाद कन्या भोजन करवाये या मंदिर में जाकर या किसी ब्राह्मण को अथवा गरीबो में भोजन, दक्षिणा, आदि अपनी क्षमता अनुसार दान दे।
अगर हो सके तो प्रतिदिन साधारण रूप से आप Mata Mansa Chalisa का पाठ कर सकते है। आप एक बात का ध्यान रखे की बीच में आपकी परीक्षा भी हो सकती है जिसमे उत्तीर्ण होने के लिये आपको सच्चे मन से माँ पर विश्वास रखना होगा और कोई भी ऐसी मांग न करे जो अधर्म हो मतलब गलत हो या किसी का बुरा करने की इच्छा मन में न हो।
किसी भी मनुष्य को उसके कर्म अनुसार ही फल मिलता है और इसीलिए किसी को जल्दी सफलता मिल जाती है और किसी को देर में। पूर्व जन्मो में किये गये कर्म आपके इस जन्म में भाग्य बन कर आते है तो आज आप अच्छे कर्म करें जिससे आने वाले जन्म में आपका भाग्य अच्छा हो और इस जन्म में भी आपका भविष्य अच्छा हो।
तो इसीलिये आपको अपने मन में पूर्ण विश्वास व प्रेम के साथ भक्ति करनी है क्योंकि किये गये कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाते भले ही चाहे आपको देर से सफलता मिले लेकिन मिलेगी जरूर। सफलता मिलने में कितना समय लगेगा ये आपकी इच्छा(aim) और आपके भाग्य पर निर्भर करता है।
|| Devi Mansa Chalisa ||
॥ दोहा ॥
मनसा माँ नागेश्वरी, कष्ट हरन सुखधाम ।
चिंताग्रस्त हर जीव के, सिद्ध करो सब काम ॥
देवी घट-घट वासिनी, ह्रदय तेरा विशाल ।
निष्ठावान हर भक्त पर, रहियो सदा तैयार ॥
॥ चौपाई ॥
पदमावती भयमोचिनी अम्बा । सुख संजीवनी माँ जगदंबा ॥१॥
मनशा पूरक अमर अनंता । तुमको हर चिंतक की चिंता ॥२॥
कामधेनु सम कला तुम्हारी । तुम्ही हो शरणागत रखवाली ॥३॥
निज छाया में जिनको लेती । उनको रोगमुक्त कर देती ॥४॥
धनवैभव सुखशांति देना । व्यवसाय में उन्नति देना ॥५॥
तुम नागों की स्वामिनी माता । सारा जग तेरी महिमा गाता ॥६॥
महासिद्धा जगपाल भवानी । कष्ट निवारक माँ कल्याणी ॥७॥
याचना यही सांझ सवेरे । सुख संपदा मोह ना फेरे ॥८॥
परमानंद वरदायनी मैया । सिद्धि ज्योत सुखदायिनी मैया ॥९॥
दिव्य अनंत रत्नों की मालिक । आवागमन की महासंचालक ॥१०॥
भाग्य रवि कर उदय हमारा । आस्तिक माता अपरंपारा ॥११॥
विद्यमान हो कण कण भीतर । बस जा साधक के मन भीतर ॥१२॥
पापभक्षिणी शक्तिशाला । हरियो दुख का तिमिर ये काला ॥१३॥
पथ के सब अवरोध हटाना । कर्म के योगी हमें बनाना ॥१४॥
आत्मिक शांति दीजो मैया । ग्रह का भय हर लीजो मैया ॥१५॥
दिव्य ज्ञान से युक्त भवानी । करो संकट से मुक्त भवानी ॥१६॥
विषहरी कन्या, कश्यप बाला । अर्चन चिंतन की दो माला ॥१७॥
कृपा भगीरथ का जल दे दो । दुर्बल काया को बल दे दो ॥१८॥
अमृत कुंभ है पास तुम्हारे । सकल देवता दास तुम्हारे ॥१९॥
अमर तुम्हारी दिव्य कलाएँ । वांछित फल दे कल्प लताएँ ॥२०॥
परम श्रेष्ठ अनुकंपा वाली । शरणागत की कर रखवाली ॥२१॥
भूत पिशाचर टोना टंट । दूर रहे माँ कलह भयंकर ॥२२॥
सच के पथ से हम ना भटके । धर्म की दृष्टि में ना खटके ॥२३॥
क्षमा देवी, तुम दया की ज्योति । शुभ कर मन की हमें तुम होती ॥२४॥
जो भीगे तेरे भक्ति रस में । नवग्रह हो जाए उनके वश में ॥२५॥
करुणा तेरी जब हो महारानी । अनपढ बनते है महाज्ञानी ॥२६॥
सुख जिन्हें हो तुमने बांटें । दुख की दीमक उन्हे ना छांटें ॥२७॥
कल्पवृक्ष तेरी शक्ति वाला । वैभव हमको दे निराला ॥२८॥
दीनदयाला नागेश्वरी माता । जो तुम कहती लिखे विधाता ॥२९॥
देखते हम जो आशा निराशा । माया तुम्हारी का है तमाशा ॥३०॥
आपद विपद हरो हर जन की । तुम्हें खबर हर एक के मन की ॥३१॥
डाल के हम पर ममता आँचल । शांत कर दो समय की हलचल ॥३२॥
मनसा माँ जग सृजनहारी । सदा सहायक रहो हमारी ॥३३॥
कष्ट क्लेश ना हमें सतावे । विकट बला ना कोई भी आवे ॥३४॥
कृपा सुधा की वृष्टि करना । हर चिंतक की चिंता हरना ॥३५॥
पूरी करो हर मन की मंशा । हमें बना दो ज्ञान की हंसा ॥३६॥
पारसमणियाँ चरण तुम्हारे । उज्वल करदे भाग्य हमारे ॥३७॥
त्रिभुवन पूजित मनसा माई । तेरा सुमिरन हो फलदाई ॥३८॥
इस गृह अनुग्रह रस बरसा दे, हर जीवन निर्दोष बना दे ।
भूलेंगें उपकार ना तेरे, पूजेंगे माँ सांझ सवेरे ॥
सिद्ध मनसा सिद्धेश्वरी, सिद्ध मनोरथ कर ।
भक्तवत्सला दो हमें सुख संतोष का वर, सुख संतोष का वर ॥
॥ इति श्री Mansa Chalisa संपूर्णम् ॥
|| इति श्री देवी माँ मनसा चालीसा समाप्त ||
तो ये आपने पढ़ी है माँ मनसा चालीसा जिसके पाठ करने से भक्त को माँ की विशेष कृपा प्राप्त होती है। माँ अपने भक्तो पर बहुत जल्दी प्रसन होती है और अगर आपकी परीक्षा हो तो माँ की कृपा से आप अवश्य सफलता प्राप्त क्र लोगे बस आपको सच्चे दिल से माँ को प्रेम करना है।
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Q. माता मनसा देवी किनकी पुत्री है ?
Ans. माता मनसा देवी भगवान शिवजी और माता पार्वती जी की पुत्री है। भगवान भोलेनाथ के मस्तक से इनका जन्म हुआ था।