श्री वीरभद्र जी भगवान शिव के अवतार है और यह प्रमुख शिव गणो में से एक है जिन्हे भगवान भोलेनाथ जी ने प्रजापति दक्ष को सजा देने के लिये उत्पन्न किया था और इन्होने प्रजापति दक्ष का सर धड़ से अलग कर दिया था।
भगवान वीरभद्र जी को प्रसन्न करने के लिये श्री वीरभद्र अष्टकम का पाठ कर सकते है।
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श्री वीरभद्राष्टकम् | Sri Veerabhadra Ashtakam
दक्षाध्वरध्वंसविधानदक्षं
दम्भोलितुल्यायतबाहुवृन्दम् ।
फालोज्ज्वलन्नेत्रहुताशनेन
भस्मीकृतारिं भज वीरभद्रम् ॥ १॥
कङ्कालदण्डं कठिनोग्रदंष्ट्रं
कपालमालं(ला)कमनीयहारम् ।
कन्दर्पदर्पापहसर्पहारं
भस्माङ्गलेपं भज वीरभद्रम् ॥ २॥
भूतेशमीशं भुजगाभिरामं
भस्मीकृताशेषपुरप्रतापम् ।
उन्निद्रपद्मायतनेत्रपद्मं
श्रीवीरभद्रं भज वीरभद्रम् ॥ ३॥
कालाञ्जनश्यामलकोमलाङ्गं
कण्ठान्तरस्थापितकालकूटम् ।
भागीरथीचुम्बितमौलिभागं
फालाग्निनेत्रं भज वीरभद्रम् ॥ ४॥
पढ़े श्री गणपति चालीसा हिंदी में
निशाटकोटीपटुसेव्यमानं
नीलाञ्जनाभं निहतारिलोकम् ।
पाटीरवाटं वटमूलवासं
भद्राक्षमालं भज वीरभद्रम् ॥ ५॥
जगत्प्रवीरं जगतामधीशं
बालेन्दुजूटं फणिराजभूषम् ।
सहस्रबाहुं सनकादिवन्द्यं
चक्राभिरामं भज वीरभद्रम् ॥ ६॥
मञ्जीरपुञ्जारवमञ्जुपादं
कुञ्जामराम्भोजमणीन्द्रहारम् ।
कञ्जातसञ्जातविराजमानं
विकासिनेत्रं भज वीरभद्रं ॥ ७॥
कालस्य कालं कनकाद्रिचापं
वीरेश्वरं निर्विषयान्तरङ्गम् ।
निरीहमेकं निगमान्तमृग्यं
निर्वाणहेतुं भज वीरभद्रम् ॥ ८॥
||फलश्रुति||
भद्राष्टकं (पापहरं) पठेद्यः
प्रभातकाले पितृसूतिकाले ।
सुखी भवेत्सम्पदवान् सुभोगी
सुरूपवान् सुस्थिरषुद्धितस्य (बुद्धियुक्तः)॥ ९॥
॥ इति श्रीवीरभद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥
भगवान शिव चालीसा भी पढ़े।
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वीरभद्र मंदिर : भगवान शिव के प्रमुख गणो में से एक श्री वीरभद्र जी की दक्षिण भारत में शिवजी की तरह ही पूजा अर्चना होती है। वीरभद्र मंदिर, लेपाक्क्षी गांव में स्थित है इस मंदिर को 16 वीं शताब्दी में विजयनगर के राजा के द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर, दक्षिण भारत में काफी विख्यात है और यहां सारे देश से दर्शनार्थी दर्शन करने आते है और इस मंदिर में भगवान वीरभद्र जी की पूजा की जाती है।