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दुर्गा देवी (Mata Durga Devi) हिन्दू धर्म में एक प्रमुख देवी हैं जिन्हें दिव्य माता के रूप में पूजा जाता हैं और सभी अन्य हिन्दू देवी-देवताओं की शक्तियों को सम्मिलित करने वाली उच्चतम देवी मानी जाती हैं। माँ दुर्गा को अक्सर एक सिंह या बाघ पर सवार योद्धा देवी के रूप में चित्रित किया जाता है जो शक्ति, बल और साहस का प्रतीक होता है।
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हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार देवताओं ने देवी को महिषासुर नामक राक्षस को मारने के लिए उत्पन्न किया था और विजय दशमी (दशहरा) के दिन इनका पूजन किया जाता है जो हिन्दू धर्म का प्रमुख त्योहार है।
|| दुर्गा चालीसा ||Durga Chalisa Lyrics In Hindi||
|| ॐ दुर्गायै नमः || श्री दुर्गा चालीसा प्रारंभ ||
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥
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तुम संसार शक्ति लै कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥
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मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहुंलोक में डंका बाजत॥
शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ संतन पर जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥
अमरपुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
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प्रेम भक्ति से जो यश गावें।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
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आशा तृष्णा निपट सतावें।
रिपू मुरख मौही डरपावे॥
शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।।
जब लगि जिऊं दया फल पाऊं ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥
दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥
देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥
तो ये श्री दुर्गा माँ की चालीसा समाप्त हुई।
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माँ दुर्गा के नौ रूप के नाम क्या है ?
माता दुर्गा के नौ रूप (Mata Durga Ke Nau Roop) हिन्दू धर्म में देवी भक्तो के लिए एक महत्वपूर्ण विषय हैं। नौ रूप दुर्गा के अलग-अलग रूपों को दर्शाते हैं और प्रत्येक रूप उनकी विशेष शक्ति और कार्यों को प्रतिष्ठित करता है और देवी के नाम और इनके रूप का वर्णन निम्नलिखित हैं:
शैलपुत्री (Shailputri): यह पहला रूप है और ये भगवान शिव की पत्नी गौरी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। इन्हें पहाड़ों की रानी भी कहा जाता है।
ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini): माँ का यह रूप विद्या, तपस्या और संयम का प्रतीक हैं। ये माता सरस्वती के समान रूप में प्रतिष्ठित हैं।
चंद्रघंटा (Chandraghanta):देवी के इस रूप में माता दुर्गा चंद्र के आभा के साथ प्रकट होती हैं। इन्हें चंद्र के रूप में प्रतिष्ठित किया जाता है।
कूष्मांडा (Kushmanda): यह रूप ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के लिए उद्यमशीलता और शक्ति को प्रतिष्ठित करता है।
स्कंदमाता (Skandamata): इस रूप में माता दुर्गा भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
कात्यायनी (Katyayani): इस रूप में देवी कात्यायनी महिषासुर का वध करने के लिए प्रकट हुई थीं।
कालरात्रि (Kalaratri): यह रूप रात्रि के समान काला है और यह भयंकर और उग्र देवी हैं। इन्हें भय को दूर करने वाली देवी माना जाता है।
महागौरी (Mahagauri): यह रूप शुद्धता और दिव्य सौंदर्य का प्रतीक हैं।
सिद्धिदात्री (Siddhidatri): यह रूप सभी सिद्धियों को देने वाला है और सभी मांगों को पूरा करने में सक्षम हैं।
ये Maa Durga Ke 9 Roop माता दुर्गा के प्रमुख रूप हैं जिनकी नवरात्रि के दौरान पूजा और आराधना की जाती है।
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