ये हम आपको बता रहे है “दक्षिण भारत का मैनचेस्टर किसे कहा जाता है” (Dakshin Bharat Ka Manchester)
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दक्षिण भारत का मैनचेस्टर – कोयंबटूर
दक्षिण भारत का मैनचेस्टर – कोयंबटूर को कहा जाता है।
कोयंबटूर, तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के बाद राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश शासन के दौरान टेक्सटाइल उद्योग के केंद्र के रूप में विकसित होने के कारण कोयंबटूर को ‘दक्षिण भारत का मैनचेस्टर’ कहा जाता है। आज कोयंबटूर तमिलनाडु का एक प्रमुख औद्योगिक और व्यावसायिक केंद्र है।
कोयंबटूर का इतिहास
16वीं शताब्दी में कोयंबटूर विजयनगर साम्राज्य का हिस्सा था। बाद में 18वीं शताब्दी में यह मैसूर के वोदेयर राजाओं के अधीन आ गया। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 18वीं शताब्दी के अंत में इस पर नियंत्रण हासिल कर लिया।
19वीं शताब्दी की शुरुआत में कोयंबटूर में सिर्फ एक छोटा सा गाँव था। 1806 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने यहाँ कपास और अन्य वस्तुओं के व्यापार के लिए एक व्यापारिक स्टेशन स्थापित किया।
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1821 में पहला कपास मिल खोला गया और धीरे-धीरे कोयंबटूर एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र के रूप में उभरा। 1904 तक यहां कई कपास मिलें स्थापित हो चुकी थीं और ‘मिलों का शहर’ के रूप में कोयंबटूर की पहचान हो गई।
टेक्सटाइल उद्योग का विकास
19वीं शताब्दी के मध्य में कोयंबटूर में टेक्सटाइल उद्योग का विकास हुआ। कई कारणों से कोयंबटूर टेक्सटाइल उद्योग के लिए एक आदर्श स्थान था:
- सस्ता श्रम बल की उपलब्धता
- कपास की आसान उपलब्धता
- अंग्रेजों द्वारा वित्तीय सहायता
- परिवहन सुविधाएँ
जल्द ही कोयंबटूर में कई सरकारी मिलें स्थापित की गईं और यह देश का सबसे बड़ा टेक्सटाइल उत्पादन केंद्र बन गया। 1913 में कोयंबटूर में 62 मिलें स्थापित थीं जो लगभग 2.5 लाख लोगों को रोजगार प्रदान कर रही थीं।
इस तरह टेक्सटाइल उद्योग के विकास के कारण ही कोयंबटूर की तुलना ब्रिटेन के औद्योगिक शहर मैनचेस्टर से की जाने लगी।
आधुनिक कोयंबटूर
आजादी के बाद कोयंबटूर ने अपना औद्योगिक वर्चस्व बनाए रखा है। टेक्सटाइल उद्योग अभी भी शहर की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। इस शहर में आईटी और बीपीओ उद्योग भी तेजी से विकसित हो रहे हैं। शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में भी कोयंबटूर एक प्रमुख केंद्र बन गया है। आज इस शहर की जनसंख्या लगभग 10 लाख है। शहर की अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढाँचे और जीवनस्तर के मामले में निरंतर विकास हो रहा है।
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कोयंबटूर अब भी दक्षिण भारत के सबसे महत्वपूर्ण औद्योगिक और आर्थिक केंद्रों में से एक है, जिसकी वजह से इसे ‘दक्षिण भारत का मैनचेस्टर’ कहा जाता है।
कोयंबटूर की विशेषताएँ
- देश का दूसरा सबसे बड़ा टेक्सटाइल उत्पादक
- कपास टेक्सटाइल, सिल्क और सूती कपड़े का बड़ा निर्यातक
- आईटी और बीपीओ उद्योगों का विकास
- कई प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान
- समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परंपराएँ
- प्रमुख पर्यटन स्थल
निष्कर्ष
कोयंबटूर का विकास एक छोटे से गाँव से लेकर दक्षिण भारत के सबसे बड़े औद्योगिक नगरों में से एक तक हुआ है। 19वीं सदी में टेक्सटाइल उद्योग के विकास ने कोयंबटूर को ‘दक्षिण भारत का मैनचेस्टर’ बना दिया।
आज भी टेक्सटाइल और अन्य उद्योगों की वजह से कोयंबटूर तमिलनाडु और देश का एक अहम आर्थिक केंद्र बना हुआ है। शिक्षा, संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में भी कोयंबटूर की अपनी पहचान है।