पालक एक सुप्रसिद्ध हरी सब्जी है । भारतवर्ष में प्राचीन काल से ही इसे सब्जी के रूप में उपयोग में लाया जाता है।Palak Ke Fayde In Hindi – पालक की प्रकृति पाचक और ठण्डी होती है। पालक को पकाने से इसके गुण नष्ट नहीं होते हैं।
पालक में विटामिन ए, बी, सी और कैल्शियम अधिक मात्रा में पाया जाता है । कच्चा पालक अधिक गुणकारी होता है ।पालक के पत्तों में पर्याप्त मात्रा में औषधीय गुण पाए जाते हैं । पालक पथरी को पिघलाकर बाहर निकाल देता है । यह इसका सबसे बड़ा गुण है ।पालक फेब्रिकेशन को भी सुधार देता है ।
टमाटर के बाद साग – सब्जियों में पालक की भाजी की सर्वाधिक शक्तिप्रदायक है। इसमे रक्त बढ़ाने का गुण ज्यादा होता है तथा रक्त को शुद्ध करता है । पालक हड्डियों को मजबूत बनाता है । पालक के पत्ते जीवन शक्ति के लिए मूल आधार है । दूध यदि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो सके तो ऐसी दशा में पालक के हरे पत्तो का रस बच्चों को देने से पर्याप्त लाभ मिल जाता है ।
पालक के बीज का भी औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है । संपूर्ण पाचन तंत्र के लिए पालक का रस सफाई कारक एवं पोषणकर्त्ता माना जाता है । पालक आँतों को क्रियाशील रखता है और आंतों में उपस्थित मल को बाहर निकालने में सहायक होता है। यह रक्त विकार और कफ को नष्ट करता है । पालक मधुमेह के रोग में भी गुणकारी होता है । पालक यकृत रोग और पीलिया रोग को मिटाते हैं ।
पालक कफ और श्वास सम्बन्धी रोगों में भी हितकारी होता है । पालक खून में उपस्थित रक्ताणुओं को बढ़ाता है। पालक के पत्ते खाने से मनुष्य के शरीर की वृद्धि और विकास होता है । यह बुद्धि बढ़ाने में भी सहायक होता है ।
पालक से किन – किन बिमारियों में लाभ होता है –
1 . खांसी , फेफड़ों की सूजन एवं गले की जलन में –
इन बिमारियों में पालक के रस से कुल्ला करने से लाभ होता है ।
2 . रक्त विकार एवं शरीर की खुश्की में –
इसमें पालक का सेवन करने से लाभ होता है ।
3 . रक्त की कमी में –
रक्त की कमी को पूरा करने के लिए पालक सबसे उत्तम हरी सब्जी है। आधा गिलास पालक के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर 50 दिन सेवन करने से शरीर का रक्त शुद्ध हो जाता है । पालक का रस कच्चे पपीते में या छिलके सहित मूंग की दाल में डालकर सब्जी खाना लाभकारक है। पालक रक्त की कमी को पूरी करता है । रक्त संबंधी विकारों में यदि प्रतिदिन पालक का रस 3 बार 125 ग्राम की मात्रा में लिया जाए तो समस्त विकार दूर होकर चेहरे पर लालिमा, शरीर में उत्साह और स्फूर्ति उत्पन्न होकर शक्ति का संचार तेजी से होता है । पीलिया, प्यास, जलन और पित्त ज्वरो में भी पालक लाभ करता है ।
4 . आंखों की रोशनी में –
आँखों की रोशनी कम हो जाने पर – पालक का रस पीने से आंखों की रोशनी बढ़ जाती है । ‘
5 . दांतों में पायरिया लग जाने में –
पायरिया के रोगी को कच्चा पालक दाँतों से चबाकर खाना चाहिए । सुबह खाली पेट पालक का रस पीने से पायरिया ठीक हो जाता है । पालक का रस दाँतों और मसूढों को मजबूत बनाता है । पालक के रस में गाजर का रस मिलाने से मसूड़ों से रक्त का आना बंद हो जाता है ।
6 . रात्रि में बार – बार पेशाब जाना –
शाम को पालक की सब्जी खाने से पेशाब आना कम हो जाता है ।
7 . गले के दर्द में –
पालक के पत्ते उबालकर पानी छान लें और पत्ते भी निचोड़ लें । इस गरम – गरम पानी से गरारा करने से गले का दर्द ठीक हो जाता है ।
8 . पाचन से संबंधित रोगों में –
कच्चे पालक का रस आधा गिलास सुबह-सुबह रोज पीते रहने से कुछ ही दिनों में कब्ज ठीक हो जाता है । पालक और बथुआ की सब्जी खाने से भी कब्ज की शिकायत दूर होती है । कुछ दिनों तक लगातार पालक अधिक मात्रा में खाने से पेट के रोगों में लाभ होता है । आंतों के रोगों में भी पालक की सब्जी खाना लाभदायक होता है ।
9 . पथरी में –
पालक के पत्तों का काढ़ा देने से पथरी पिघल जाती है और मूत्र-वृद्धि होकर पथरी के कण बाहर निकल जाते हैं ।
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